Thursday, 29 February 2024

गैर-हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है

गैर-हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है ..... Madurai High Court Order

W.P.(MD).No.18485 of 2023

D.Senthilkumar
V/s
Government of Tamilnadu,

१)मंदिरों के प्रवेश द्वार के पास और मंदिर के प्रमुख स्थानों पर यह दर्शाते हुए बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा कि " गैर-हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है"।

२)सरकार को निर्देश दिया जाता है कि वे उन गैर-हिंदुओं को अनुमति न दें जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं।

३)यदि कोई गैर-हिंदू मंदिर में विशेष देवता के दर्शन करने का दावा करता है, तो सरकार को उक्त गैर-हिंदू से वचन लेना होगा कि उसे देवता में आस्था है और वह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा और मंदिर के रीति-रिवाजों का भी पालन करेगा और इस तरह के वचन पर उक्त गैर-हिंदू को मंदिर में जाने की अनुमति दी जा सकती है।

४)जब भी किसी गैर-हिंदू को उपक्रम के आधार पर अनुमति दी जाएगी तो उसे उस रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा जिसे मंदिर द्वारा बनाए रखा जाएगा

५)मंदिर प्रशासनको मंदिर के आगमों, रीति-रिवाजों और प्रथाओं का सख्ती से पालन करके मंदिर परिसर का रखरखाव करना होगा।

हम मदुराई हाई कोर्ट का हार्दिक अभिनंदन करते है.

Friday, 26 January 2024

ग्राहक मार्गदर्शन सेवा केंद्र दिवा, ठाणे

अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत मार्गदर्शन सेवा केंद्र, दिवा, ठाणे

आज 26 जानेवारी 2024 को दिवा स्थित, जिला ठाणे के निर्मल नगरी सोसायटी मे सुबह 9.45 बजे प्रजासत्ताक दिन के अवसर पर अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत की मार्गदर्शन सेवा की शुरुवात की गई.


इस समय सोसायटी के सभी 450 फ्लॅट के लोग  कार्यक्रम मे शामिल हो गये.

Wednesday, 6 December 2023

Purchase medicine from medical shop

*अस्पतालों में फार्मेसियों से दवाएं खरीदना जरूरी नहीं है, हो सके तो इनसे बचें और कम से कम 40% बचाएं!*

 
ग्राहक राजा अस्पताल में अपने मरीज को भर्ती करता है तो आजकल लगभग 90% अस्पतालों की अपनी फार्मेसी है और आपको बताया जाता है कि मरीज के भर्ती होने के बाद आपको कुछ भी लाने की जरूरत नहीं है।
 
उसे दवाएं, इंजेक्शन, विभिन्न किट, कैथेटर, सीरिंज, सुई, डिस्पोजेबल सामग्री, दस्ताने आदि हम अपनी फार्मेसी ऑनलाइन भेजते हैं, आप निश्चिंत हो सकते हैं।  
अपने मिलने के समय पर आएं, विजिट करें और हम आपको उसी समय जो भी रुपए लगते है उसे भुगतान करने के लिए कहेंगे। उन्हें यह भी बताया जाता है कि उन्हें पैसे देने के लिए अस्पताल आने की भी जरूरत नहीं है वे ऑनलाइन पे कर सकते है।

इसके अलावा, जब मरीजों को भर्ती किया जाता है, तो उनसे पूछा जाता है कि क्या उनके पास बीमा है। क्या कोई नीतियां हैं ?, अगर किसी कंपनी में कर्मचारी हैं, तो क्या उनके पास पत्र आदि हैं?

आप सोचते हैं कि इस अस्पताल में कितनी बेहतरीन सुविधाएं हैं। कुछ भी जटिल नहीं है, एक बार जब आप अस्पताल में हों, तो आप इसे सीधे डिस्चार्ज करने के लिए जा सकते हैं, बहुत अच्छा अस्पताल है।

ग्राहक मित्रों, जब डिस्चार्ज का समय आता है, तो आंखें सफेद हो जाती हैं क्योंकि उन्हें आश्चर्य होता है कि बिल देखकर इतना पैसा कैसे लगा और फिर कुछ रिश्तेदार जो गर्म सिर वाले हैं, सीधे अस्पताल प्रबंधन के पास जाते हैं उनसे झगड़ा करते है।

अस्पताल प्रबंधन के लोगों ने मास्टर बिजनेस मैनेजमेंट कोर्स (एमबीए) किया होता है। इसके अलावा, मार्शल को अस्पताल में रखा जाता है, तो इस तरह से लड़ने का कोई मतलब नहीं होता है।

अस्पताल प्रबंधन बहुत अधिक परेशानी से बचने के लिए बिल को 1,000 से 2000 रुपये घटाकर रिश्तेदारों को चलता करती है।

ग्राहक मित्रों, क्या आप जानते हैं कि अस्पताल में फार्मेसी में दवाएं और अन्य सामग्री कुछ निश्चित कंपनियों की ही होती हैं। इसके अलावा, इस पर एक निश्चित मूल्य मुद्रित होता है।

अस्पताल में डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं कुछ खास ब्रांड की होती हैं और आपको लगता है कि ये आपको कहीं और नहीं मिल सकतीं। 
 
दोस्तों कोई भी ब्रांडेड दवा हो या जेनेरिक दवाएं दोनो उसी गुणवत्ता की होती हैं क्योंकि एफडीए द्वारा उन्हें उसी क्वालिटी के बिना निर्माण करने की अनुमति नहीं होती है।

कई डॉक्टर निजी तौर पर कहते हैं कि कुछ अस्पतालों में प्रबंधन डॉक्टरों को टारगेट देते है. हॉस्पिटल को इतना धंधा मिलना चाहिए। इसके अलावा, कुछ अस्पतालों के पैनल में डॉक्टर का नाम होने से डॉक्टर बड़ा होता है ऐसी समाज में धारणा होती है, इसलिए डॉक्टर अस्पतालों में सलाहकार के रूप में नौकरी स्वीकार करते हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि एक ग्राहक के रूप में आप क्या कर सकते हैं।

तो, ग्राहक मित्रो, जब आप अपने मरीज को अस्पताल में भर्ती करते हैं, तो आपको अस्पताल प्रबंधन को लिखना चाहिए कि हम सभी आवश्यक दवाएं, गोलियां, इंजेक्शन और चिकित्सा आपूर्ति खुद खरीदेंगे और लाएंगे।
 
आप अस्पताल के पासके अन्य फार्मेसी में जाकर दवा प्राप्त कर सकते हैं या उस दुकान का व्हाट्सएप नंबर प्राप्त कर सकते हैं और उस पर पर्चे पोस्ट कर सकते हैं, दुकानदार आपको सभी दवाएं ला सकता है या सीधे अस्पताल प्रबंधन को सौंप सकता है। 
 
आजकल पुणे में ऐसे कई फार्मासिस्ट बड़े अस्पतालों के बाहर दुकानें लगा रहे हैं और दवाएं व्हाट्सएप के पर्ची पर पहुंचा रहे हैं।

फ़ार्मेसी लॉबी सभी दवाए, गोलियों, इंजेक्शनों और अन्य चिकित्सा सामग्री पर एमआरपी 300% से 600% अधिक प्रिंट करती है क्योंकि एमआरपी कितना प्रिंट करना है, इस पर कोई सरकारी प्रतिबंध नहीं है। वे कानून की इस खामी का गैरफायदा उठा रहे हैं।

कई दवा दुकानों पर, आप एक एडवर्टाइज देखते हैं जो कहता है कि हमारे पास दवाओं पर 70% से 80% की छूट मिलती है।  

ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि एमआरपी उससे भी ज्यादा छपी होती है।

अस्पताल में मरीज से एमआरपी से ही बिल वसूला जाता है और उस पर कोई छूट नहीं दी जाती और ऐसा करना गैर कानूनी भी नहीं है। 
 
इसलिए आपका बिल 40% से 70% अधिक होता हैं, क्योंकि आपको इस पर छूट नहीं मिलती है।

वास्तविक अस्पतालों को थोक में दवाओं की आवश्यकता होती है और वे उन्हें थोक में ही खरीदते हैं इसलिए उन्हें भारी छूट पर दवाएं मिलती हैं लेकिन वे ग्राहक को यह लाभ नहीं देते हैं, भले ही अस्पताल धर्मार्थ ट्रस्ट के तहत पंजीकृत हैं, वे धर्मार्थ कार्य नहीं कर रहे हैं बल्कि वे कॉर्पोरेट उद्योग चला रहे हैं। धर्मार्थ ट्रस्ट की वजह से सरकार से टैक्स में रियायतें भी ली जाती हैं।
 
जब आप अपने मरीज को भारत के किसी भी अस्पताल में भर्ती करते हैं, तो आप उन्हें एक लिखित आवेदन जमा करके खुद दवाएँ लाने के लिए कह सकते हैं।

कोई अस्पताल या डॉक्टर आपको अपनी फार्मेसी से दवा खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।

निम्नलिखित आवेदन जमा करके अस्पताल में आपके बिलों को कम करने में मदद करें।


 प्रति,
 मुख्य कार्यकारी अधिकारी / प्रबंधक,
 ................. अस्पताल



 अर्ज़दार -

 विषय - चिकित्सा औषधि/साहित्य चिकित्सालय के बाहर से फार्मेसी से आपूर्ति के संबंध में


 श्रीमान,
 उपरोक्त के संबंध में, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि ............ मेरे रिश्तेदार श्री/श्रीमती/श्रीमती ............ ......................
 इन रोगियों के लिए आवश्यक सभी चिकित्सा दवाएं / सामग्री बाहरी फार्मेसी द्वारा आपके डॉक्टरों और कर्मचारियों के अनुरोध के अनुसार प्रदान की जाएगी। मैं आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि मुझे इसके लिए अनुमति दें

 


 आपका 
 ......मरीज के रिश्तेदार


ग्राहक मित्रों, अपने अधिकारों को समझें, अपनी जिम्मेदारियों को समझें।

भारी बिल की वजह से अस्पताल के लोगों को मारपीट मत करो, कानून अपने हाथ में न लें। अपनी कीमती मेहनत की कमाई को बचाएं।

यदि आपको एक उपभोक्ता के रूप में मुफ्त मार्गदर्शन की आवश्यकता है, तो आप अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत से संपर्क कर सकते हैं।

विजय सागर,
 
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत,
 634, सदाशिव पेठ, कुमठेकर रोड, पुणे
 411030.

वेबसाईट:
www.abgpindia.com

Saturday, 5 November 2022

parking owner is society

लाखो रुपये देऊन पार्किंग खरेदी केले तरीही ते पार्किंग सोसायटी काढून घेऊन इतर सभासदांना देऊ शकते.

ग्राहकाला पार्किंग करारनामा करून विकणे, पत्र देऊन किंवा करारनामा करताना allot करणे  ही बिल्डरची कृती बेकायदेशीर आहे. त्याबाबत सुप्रीम कोर्टाने महत्त्व पूर्ण निकाल दिलेला आहे.(CIVIL APPEAL NO. 2544 OF 2010). 
महाराष्ट्र फ्लॅट ओनरशिप ॲक्ट १९६३ मध्ये त्याबाबत स्पष्ट पणे तरतूद आहे की पार्किग, ओपन स्पेस, टेरेस इत्यादी कॉमन एरिया मध्ये येते आणि त्याची मालकी ही सोसायटीची असते.

पार्किंग कुणाला द्यायचे हे सोसायटी ठरवू शकते बिल्डर नाही. 

एखाद्या व्यक्तीने बिल्डरला लाखो रुपये दिले असतील, करारनाम्यात तसा उल्लेख असेल, बिल्डर ने allotment letter दिले असेल तरीही सोसायटी सदर पार्किंग परत घेऊन ते इतर सभासदाला देऊ शकते असा महत्त्व पूर्ण निकाल ठाणे येथील अतिरिक्त ग्राहक आयोगाने नुकताच दिला आहे.

तेव्हा नवीन ग्राहक जे फ्लॅट खरेदी करतात त्यांनी पार्किंग अजिबात विकत घेऊ नये.

आपण लाखो रुपये पार्किंग साठी दिले तरीही सोसायटी आपले पार्किंग काढून इतर व्यक्ती ला देऊ शकते. जिथे पार्किंग साठी जागा कमी आहे तिथे सोसायटी रोटेशन पद्धतीने पार्किंग सभासदांना देऊ शकते. 

ज्या सभासदांनी, फ्लॅट ग्राहकांनी या आधी बिल्डरला लाखो रुपये देऊन पार्किंग विकत घेतले आहे त्यांनी बिल्डर ला नोटीस देऊन सदर आपले पैसे  व्याजासहित परत मागून घ्यावेत. आपण नोटीस देऊन ही बिल्डर पैसे परत करत नसतील तर त्यांचे विरुद्ध केस दाखल करू शकता.

तसेच आपण फसवले गेलो आहोत हे लक्षात घेऊन आपण त्या बिल्डर वर फसवणुकीचा गुन्हा इंडियन पिनल कोड नुसार दाखल करावा. मोफा कायद्या नुसार पण आपण सदर बिल्डर वर गुन्हा दाखल करू शकता.

पोलीस गुन्हा दाखल करण्यास नकार देत असतील तर आपण सदर पोलीस स्टेशन मधील ठाणे अम्मलदार यांचे विरुद्ध आय पी सी कलम १६६ नुसार तक्रार सहायक पोलीस आयुक्त यांचे कडे किंवा कमिशनर ऑफ पोलीस यांचे कडे करू शकता. शिवाय आपण ऑनलाइन FIR दाखल करू शकता. सरते शेवटी आपण न्यायालयात जाऊन सदर गुन्हा नोंदवणे साठी पोलिसांना आदेश घेऊ शकता. यासाठी कोणत्याही वकिलाची गरज लागत नाही.

 
याबाबत आपणास मोफत मार्गदर्शन हवे असल्यास आपण अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत शी संपर्क करू शकता.

विजय सागर, संघटक पुणे महानगर आणि
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य,
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत,
६३४, सदाशिव पेठ, पुणे ४११०३०.

मोफत मार्गदर्शन: 
सोम, बुध, शुक्र सायंकाळी 6 से 7.30  

www.abgpindia.com

विजय सागर
9422502315
श्री विलास लेले
9823132172
सौ अंजली देशमुख
9823135803
श्रीमती विजया वाघ
9075132920
श्री रवींद्र वाटवे
9422383785
श्रीमती राजश्री दीक्षित
9422318909
श्री रवींद्र सिन्हा, बाणेर
7774001188
श्री विश्वास चव्हाण,धानोरी
7769978484
श्री अरुण नायर,विश्रांतवाडी
9890652675
श्रीमती किशोरी रावळ, हडपसर 83909 02773

parking problems in society

*पार्किंग संदर्भातील प्रश्न आणि समाधान : जागो ग्राहक, समझो ग्राहक?*

पार्किंग विकता येत नाही आणि सोसायटी सदर विकत घेतलेले पार्किंग काढून घेऊ शकते असा निकाल ठाणे अतिरिक्त ग्राहक आयोगाने दिल्याची पोस्ट प्रचंड प्रमाणात सोशल मीडिया वर वितरीत झाली आणि ग्राहकांनी असंख्य प्रश्न विचारले, फोन वर फोन येत राहिले. अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत चे सर्व कार्यकर्ते रोज 150-200 फोन घेत आहेत. इंडिया दर्पण या भावेश ब्राह्मणकर यांचे न्यूज पोर्टल वर सदर लेख आल्यामुळे महाराष्ट्रातील काना कोपऱ्यातून फोन सतत येत आहेत.
*अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत म्हणून ग्राहकांच्या विविध प्रश्नांची उत्तरे आपल्या माहिती साठी एकत्र देत आहे.*

*ग्राहक*: बिल्डरने एक इमारत बांधली. सदनिका व ज्यांना पाहिजे त्यांना पार्किंग विकले. खरेदीखतात तशी नोंद पण केली आहे. सोसायटी झालेली नाही. होण्याची शक्यता नाही. कारण कोणीही त्यासाठी उत्सुक नाही. अशावेळी काय करावे? ज्यांनी पार्किंगची जागा विकत घेतली ती त्यांच्याच मालकीची राहील ना? कारण सोसायटीच नाही.

*उत्तर*: सदर पार्किंगची जागा की कॉमन आहे आणि बिल्डरने सोसायटी स्थापन केली नाही तर आपण स्वतः ती स्थापन करून घेऊ शकता किंवा आपण त्याबाबत ग्राहक आयोगात तक्रारही दाखल करू शकता.

*ग्राहक* :
1.नवीन जागा घेत असताना पार्किंग लॉट बद्दल नक्की व्यवहार कसा करावा?
2.कोणत्या प्रकारे पेपर वर्क करावे म्हणजे पार्किंग लॉट आपल्याला कायदेशीर मिळेल आणि कोणीही आपल्याकडून काढून घेऊ शकणार नाही?

*उत्तर*: कायद्या प्रमाणे सदर जागा ही सोसायटीची असते. सर्व ग्राहकांनी एकत्र राहून कोणीही पार्किंग विकत घेऊ नये. सोसायटीने सदर पार्किंग रोटेशन पद्धतीने देऊन सर्व सभासदांना पूर्ण विश्वासात घेतले तर चांगले. आपण फ्लॅट बघत असताना असे पाहा की सर्व फ्लॅट ना किमान एक पार्किंग उपलब्ध आहे. कारण बिल्डरला कॉर्पोरेशन/यूनिफाईड डेव्हलपमेंट कंट्रोलरुल प्रमाणे काही पार्किंग ठेवणे बंधनकारक असते. कित्येक कॉर्पोरेशन मधील हे जुनाट नियम बदलले पाहिजेत. कारण आता सार्वजनिक सोई नाहीत त्यामुळे प्रत्येक माणूस गाडी घेतो आणि पार्किंग प्रत्येकाला हवेच शिवाय visiter पार्किंग पण हवे. त्यामुळे अशा ठिकाणी नवीन फ्लॅट घ्या जिथे मुबलक पार्किंग आहेत.

*ग्राहक*:जर मला रजिस्टर डॉक्युमेंट नुसार पार्किंग विकले असेल तर काय बिघडते. रजिस्टर खरेदी असेल आणि त्यावर स्टॅम्प डुटी भरली असेल तर ते कायदेशीर असते ना?

*उत्तर*: खरेदी विक्री चे स्टॅम्प ड्युटी आणि रजिस्ट्रेशन चार्जेस सरकार वसूल करते पण स्टॅम्प ॲक्ट १९०८ नुसार सदर व्यवहार हा कायदेशीर आहे की बेकायदा हे तपासणे रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी चे काम नाही कारण नुकताच स्टॅम्प ॲक्ट १९०८ वर हायकोर्ट ने निर्णय दिला आहे की रजिस्ट्रार ची जबाबदारी ही फक्त सरकार ला रेव्हेन्यू देणे, विकणार आणि घेणार यांना ओळखणे तेवढीच असते. स्टॅम्प ड्युटी भरून तर कित्येक व्यवहार हे दोन दोन तीन तीन व्यवहार एकच फ्लॅट वर केलेले आहेत त्यांचे रजिस्ट्रेशन, स्टॅम्प ड्युटी पण भरलेले आहे तरीही सदर व्यवहार बेकायदेशीर असतो कारण फ्लॅट विक्री ही महाराष्ट्र फ्लॅट ओनर्शिप कायदा १९६३ आणि रेरा कायद्याखाली होते त्यामुळे सदर कायद्यात पार्किंग विकणे साठी परवानगी नाही कारण सदर बाब ही कॉमन अमेनेटी मध्ये येते.


*ग्राहक:* मोकळ्या जागेवरील पार्किंग साठी पण हाच नियम आहे का? शिवाय स्टील्ट पार्किंग, बेसमेंट पार्किंग ला पण हा नियम लागू आहे का?


*उत्तर* होय, सर्व प्रकारचे पार्किंग हे सोसायटीचे मालकीचे असतात. 
*ग्राहक*: सर, खुप महत्वाची माहिती आहे.
पण फक्त जिथे सोसायटी रजिस्टर्ड नाहीत किंवा काॕमन पार्किंग एरिया बिल्डरने काही तरी तांत्रिक बाजु तयार करून स्वतः कडे ठेवलाय अशा ठिकाणी प्रश्न आहे काय करावे,   

*उत्तर:* आपण मोफा कायद्या प्रमाणे सोसायटी स्थापन झाले नंतर चार महिन्यात खरेदी खत झाले नाही म्हणून त्याचे वर केसेस दाखल करू शकता आणि सदर बिल्डर वर पोलिसात FIR देखील दाखल करू शकता. 

*ग्राहक*: जिथे जास्त सोसायटी असतात तिथे कॉमन जागेची मालकी कोणाकडे असते.

*उत्तर*: जास्त सोसायटी असतात तिथे फेडरेशन स्थापन करून कॉमन जागेची, अमेनिटीची मालकी हस्तांतरित करून घेऊ शकता.

*ग्राहक*: सदर पार्किंग बाबत किती कोर्टनी निकाल दिले आहेत.

*उत्तर*: पार्किंग बाबत ठाणे येथील ग्राहक आयोग, मुंबई मधील अपिलेट कोर्ट, ताडा न्यायालय, मुंबई उच्च न्यायालय आणि सुप्रीम कोर्ट यांनी निकाल दिले आहेत आणि अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत कडे सर्व निकालांची कॉपी आहे.

*ग्राहक*:मी नवीन फ्लॅट घेऊ इच्छितो त्यात पार्किंग साठी बिल्डर वेगळे पैसे रोख स्वरूपात मागत आहे. काय करू.

*उत्तर*: अजिबात फ्लॅट खरेदी करू नका, पार्किंग विकत कधीही घेऊ नका.

*ग्राहक*: गॅरेज आणि इतर पार्किंग यात काय फरक आहे.

*उत्तर*: गॅरेज म्हणजे जिथे गाडी पार्क केल्या नंतर शटर/दार बंद करून घेता येते आणि त्याच्या वर आणि बाजूला बंदिस्त भिंत सदृश्य बांधकाम असायला हवे तर त्याला गॅरेज म्हणतात. सदर गॅरेज हे एफ एस आय मध्ये येते त्यामुळे ते विकू शकतात.

*वरील सर्व कोर्टनी निकाल दिला आहे की पार्किंग, ओपन स्पेस, गार्डन इत्यादी विकू शकत नाही*.

www.ABGPINDIA.com

विजय सागर, 
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य,
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत,
गली नंबर 21, जोशी मार्ग, करोल बाग, नई दिल्ली 110005.
तथा
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, 
६३४, सदाशिव पेठ, पुणे ४११०३०.
मोफत मार्गदर्शन हेतू संपर्क करा दर सोमवार, बुधवार, शुक्रवार सायंकाळी ६ ते ७.३०
मार्गदर्शक:
श्री विलास लेले
9823132172
सौ अंजली देशमुख
9823135803
श्रीमती विजया वाघ
9075132920
श्री रवींद्र वाटवे
9422383785
श्रीमती राजश्री दीक्षित
9422318909
श्री रवींद्र सिन्हा, बाणेर
7774001188
श्री विश्वास चव्हाण,धानोरी
7769978484
श्री अरुण नायर,विश्रांतवाडी
9890652675
विजय सागर
9422502315

Parking not to be sold by builder

*पार्किंग तर विकत घेतले आहे आणि सोसायटी हेच पार्किंग दुसऱ्याला देऊ शकते मग बिल्डर ला दिलेले पैसे कसे वसूल करायचे..... जाणून घ्या*

पार्किंग विकता येत नाही आणि सोसायटी सदर विकत घेतलेले पार्किंग काढून घेऊ शकते असा निकाल ठाणे अतिरिक्त ग्राहक आयोगाने दिल्यावर बऱ्याच ठिकाणी सभासद आणि सोसायटी मॅनेजमेंट यांच्यात वाद सुरू झाले आणि लोक सोसायटी ला दोष देऊ लागलेत.

वास्तविक जी वस्तू आपली नाही, ज्याच्यावर आपला हक्क नाही अशी वस्तू आपण विकू शकत नाही. त्याच प्रमाणे बिल्डर हा कोणतेही पार्किंग मग ते स्टील्ट फ्लोअर, पोडियम पार्किंग, ओपन पार्किंग, मल्टी स्टोरी पार्किंग असे कोणतेही पार्किंग विकू शकत नाही.
सुप्रीम कोर्टाने पण यावर शिक्का मोर्तब केले आहे पण ग्राहक पण मुर्खासारखे बिल्डर ला पैसे देत आहेत आणि बिल्डर पण बिनधास्त पार्किंग विकत आहेत.

 बिल्डर लोकांची लॉबी/असोसिएशन/ संघटन आहे त्यामुळे ते एक मेकांना सहाय्य करत कायद्यात पकडता येऊ नये अशी तरतूद करारनामा करताना करतात. पार्किंगचे वेगळे पैसे दाखवले जात नाहीत, पार्किंग साठी रोख स्वरूपात रक्कम स्वीकारतात किंवा पार्किंग हे इन्फ्रास्ट्रक्चर चे नावाने विकत आहेत.

आपण ग्राहक म्हणून जेव्हा असे फसवले जातो तेव्हा आता काय करायचे असा प्रश्न पडतो.

*तर ग्राहक राजा आता तरी जागा हो.* सोसायटीला दोष न देता आपण बिल्डर ला दिलेले पार्किंग चे पैसे कसे वसूल करायचे हे पहा.

प्रथम आपण बिल्डर ला सदर पार्किंग चे पैसे परत मागा. आधी लेखी स्वरूपात बिल्डर ला एक नोटीस द्या. आता नोटीस द्यायची म्हणजे वकील हवाच असे अजिबात नाही. मंडळी जेव्हा वकील नोटीस देतात तेव्हा त्यातील पहिले वाक्य असते की माझ्या अशिलाने सांगितले नुसार सदर नोटीस देत आहे. तेव्हा नोटीस द्यायला वकील हवा असे नाही. आपण रजिस्टर पोच पावती, स्पीड पोस्ट ने बिल्डर ला स्वतः नोटीस द्या. ती खालील प्रमाणे असावी.

प्रेषक:
ग्राहकाचे पूर्ण नाव,
पत्ता........
दिनांक:

प्रति,
श्री/सौ/श्रीमती...........
पार्टनर/प्रोप्रायटर,
मेसर्स............(फर्म चे नाव)
पूर्ण पत्ता.......


विषय : पार्किंग पोटी घेतलेले रक्कम रुपये ......व्याजासह परत मिळणे बाबत.

महोदय,
मी........आपल्या ........स्कीम............मध्ये बिल्डिंग क्रमांक ......फ्लॅट क्रमांक...... खरेदी केला आहे. त्याचा करारनामा हा रजिस्टर क्रमांक........रजिस्टर ऑफिस....... येथे दिनांक.........रोजी......अनु क्रमांक.......नुसार नोंदला आहे. सदर करार नामा पोटी मी एकूण रुपये.......इतके आपणास दिले आहेत आणि त्यात पार्किंग पोटी रुपये........इतके आपणास दिले आहेत.
मला नुकतेच समजले आहे की पार्किंग हे मोफा कायदा १९६३ नुसार, सुप्रीम कोर्टचे आदेश नुसार विकता येत नाही तसेच नुकताच ठाणे येथील ग्राहक आयोगाने सोसायटी चे लोकांना बिल्डर नी विकलेले पार्किंग काढून घ्यायला आदेश दिले आहेत.

आमची सोसायटी देखील आता अशे पार्किंग परत काढणे चे बाबत विचार करत आहे तरी आपण मला पार्किंग साठी घेतलेले रुपये.......१८% व्याजासह येत्या दहा दिवसात परत करावेत ही विनंती.
आपण जर मला दहा दिवसात वरील प्रमाणे रक्कम रुपये.......दहा दिवसात प्रत केले नाहीत तर मला योग्य त्या न्यायालयात दाद मागावी लागेल तसेच मी नविलाज म्हणून आपल्या विरुद्ध पोलिसांकडे फसवणुकीचा गुन्हा नोंदविण्यासाठी अर्ज देऊन याची आपण नोंद घ्यावी तसेच यासाठी लागणारा खर्च आपणाकडून वसूल केला जाईल.

सदर नोटीस चा खर्च रक्कम रुपये १०००/- आपणावर राहील.

कळावे,
आपला विश्वासू,

नाव,
पत्ता
तारीख
सही.
 
वरील प्रमाणे नोटीस देऊन पण बिल्डर ने पैसे परत केले नाही तर आपण ग्राहक आयोग, स्थाई लोक अदालत कडे दाद मागू शकता.

आपणास मोफत मार्गदर्शन हवे असल्यास आपण वेबसाईट ला भेट द्यावी.

www.ABGPINDIA.com

विजय सागर, 
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य,
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत,
गली नंबर 21, जोशी मार्ग, करोल बाग, नई दिल्ली 110005.
तथा
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, 
६३४, सदाशिव पेठ, पुणे ४११०३०.
मोफत मार्गदर्शन हेतू संपर्क करा दर सोमवार, बुधवार, शुक्रवार सायंकाळी ६ ते ७.३०


विजय सागर
9422502315
श्री विलास लेले
9823132172
सौ अंजली देशमुख
9823135803
श्रीमती विजया वाघ
9075132920
श्री रवींद्र वाटवे
9422383785
श्रीमती राजश्री दीक्षित
9422318909
श्री रवींद्र सिन्हा, बाणेर
7774001188
श्री विश्वास चव्हाण,धानोरी
7769978484
श्री अरुण नायर,विश्रांतवाडी
9890652675

purchase of 1000 sq feet farm land and 7/12

*१ ते ११ गुंठे जमीन खरेदी करावी का?*

नुकताच हायकोर्ट ने निकाल दिला आहे की जमिनीचे तुकडे पाडून त्याची खरेदी विक्री वर सरकार रोख लावु शकत नाही. 

वास्तविक सदर निकाल हा फक्त १९०८ चे स्टॅम्प duty रजिस्ट्रेशन बाबत आहे.

आपण पेपरमधे छोट्या जाहीरातीमधे, हँडबीलद्वारे तसेच रस्त्याचे बाजुला फ्लेक्स द्वारे, फेसबुक व व्हाट्सअप द्वारे तसेच भिंतींवर व लाईटमीटरच्या डिपीवर १ ते ११ गुंठेचे प्लाँट स्वस्तात उपलब्ध म्हणुन असंख्य जाहीराती वाचतो व सदर व्याक्तीस फोन करुन जमीनीचे व्यवहार करतो.

वास्तवीक पाहाता १ ते ११ गुंठे जमीन विकणारे लोक हे बेकायदेशीर व्यवहार करणारे लोक असतात. जमीनीचे खरेदिमधे आपली फसवणुक होऊ नये म्हणुन आपण स्वताच काळजी घेतली पाहिजे. शेतीचे जमीनीची बेकायदेशीर प्लाँटिंग करुन सामाईक विक्री केली जाते. घर बांधणेस जमीन खरेदी करताना सदर जमीन अकृषीक (NA) आहे का हे अगोदर पहावे. फक्त NA जमीनच खरेदी करावी. शेती झोनची जमीन कमीत कमी ११ गुंठे खरेदी करावी लागते व एजंट लोक ५-१० लोकांना एकत्रीत प्लाँटची विक्री करतात कारण शेतीची जमीन ही कमीत कमी ११ गुंठेच विकावी लागते त्याशीवाय सात बारा ला नोंद होत नाही. परत विक्री करताना तसेच घर बांधताना बरोबरच्या खरेदीदारांमधे भांडणे होतात तसेच सेपरेट ७-१२ उतारा होत नाहीत. तरी ग्राहकांनी स्वस्त प्लाँटविक्रिस फसु नये. 

जमीन खरेदी करताना जमीनीचे मालकांची खात्री करुन घ्यावी तसेच ७-१२ उतारा, फेरफार उतारे काढुन शहानिशा करावी. जमीनीचा झोनचा दाखला काढुन जमीन शेती झोन आहे की रहिवाशी झोन आहे ते पहावे. फाँरेस्ट झोन( वन क्षेत्र) असेल तर जमीन अजीबात खरेदी करु नये. तसेच जमीन सरकारने अधिगृहीत केली असेल (aquired) तर खरेदी करु नये. तसेच जमीनीवर सरकारने Development Plan मधे काही रिझर्वेशन टाकले आहे का ते पहावे. कारण रस्ते, सार्वजनीक सोई सुविधांसाठी जमीनिवर आरक्षण टाकलेले असते. जमीनीचे सर्व कागदपत्रे एखाद्या वकिलास दाखवुन मगच खरेदी करावे म्हणजे फसवणुक होणार नाही. जमीन स्वकष्टार्जीत असेल तर मालक विक्री करु शकतो पण जर जमीन ही वडिलोपार्जीत असेल तर सर्व १८ वर्षे वरील वारसांची संमंत्ती अवश्यक असते. तसेच जमीन इनाम कींवा वतनाची नाहीना हे पण पहावे कारण वतनाची जमीन विकत घेणेसाठी शासनाची परवानगी लागते.

जमीन खरेदीबाबत मोफत सल्ल्यासाठी ग्राहकांनी आधी अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत चे आपल्या जिल्ह्यातील व्यक्तीशी संपर्क साधवा. 

आमची वेबसाईट www.ABGPINDIA.com ला अवश्य भेट द्या.

विजय सागर, 
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य,
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत,
गली नंबर 21, जोशी मार्ग, करोल बाग, नई दिल्ली 110005.
तथा
अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, 
६३४, सदाशिव पेठ, पुणे ४११०३०.

मोफत मार्गदर्शन हेतू संपर्क करा दर सोमवार, बुधवार, शुक्रवार सायंकाळी ६ ते ७.३०


विजय सागर
9422502315
श्री विलास लेले
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सौ अंजली देशमुख
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श्रीमती राजश्री दीक्षित
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श्री रवींद्र सिन्हा, बाणेर
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श्री विश्वास चव्हाण,धानोरी
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